स्वतंत्रता दिवस खास -देश का पहला ओलंपियाड पदक
आप सभी को स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाए ,हम सब जानते है की भारत की स्वतन्त्रता की यह 74 वीं वर्षगांठ है और यह आजादी हमें कितनी कुर्बानियों के बाद मिली थी । जब देश हुआ आजाद हुआ था कहते है हमारे पास सुई बनाने की भी क्षमता नहीं बची थी पर उस परिस्थिति मे भी जब अशिक्षा चरम पर थी, आजाद भारत नें तब से लेकर अब तक हर दिशा मे प्रगति की है और आज हम दुनिया के लिए एक बड़ी उम्मीद है चाहे वो कोई भी क्षेत्र हो ,बात शतरंज की क्यूंकी यह खेल यहीं जन्मा ,विश्वनाथन आनंद से शुरू हुए सफर अनवरत जारी है और भारत नें शतरंज मे खुद को सुपर पॉवर साबित किया है पर जब बात आती है शतरंज ओलंपियाड के पदक की तो हमें अब तक सिर्फ एक ही टीम पदक मिला है और वो मिला था आज से ठीक छह वर्ष पूर्व 41 वे शतरंज ओलंपियाड मे तो आइये याद करते हुए क्या कुछ हुआ था उस दिन !
शतरंज ओलंपियाड – आज के दिन मिला था भारत को पहला पदक
भारतीय शतरंज जगत को व्यक्तिगत तौर पर विश्वनाथन आनंद ,कोनेरु हम्पी से लेकर कई खिलाड़ियों नें पदक दिलाये पर टीम स्पर्धा के सबसे बड़े मंच शतरंज ओलंपियाड मे भारत के नाम 6 साल पहले ठीक 15 अगस्त के कुछ घंटे पहले पदक मिलना तय हुआ और ठीक 15 अगस्त को हमें यह पदक मिला । जगह थी ट्रोम्सो ,नॉर्वे और 41 वे शतरंज ओलंपियाड मे भारत नें रूस और अमेरिका जैसे देशो को पीछे छोड़ते हुए अपना पहला कांस्य पदक हासिल किया । बड़ी बात यह थी की विश्वनाथन आनंद और पेंटाला हरिकृष्णा जैसे दिग्गज खिलाड़ियों की अनुपस्थिति मे भारत नें यह सफलता हासिल की थी टीम मे परिमार्जन नेगी ,कृष्णन शशिकिरण ,एसपी सेथुरमन ,अधिबन भास्करन और रोहित ललित बाबू की मौजूदगी मे हासिल की थी । टीम के कोच आरबी रमेश थे ।
जब अंतिम राउंड मे उज्बेकिस्तान को दी मात
अंतिम राउंड के पहले भारत टाईब्रेक मे आठवे स्थान पर था और आखिरी 11वे राउंड मे मुक़ाबला था उज्बेकिस्तान से ऐसे मे भारत को बड़े अंतर से जीत दर्ज करनी थी और युवा पर कम अनुभवी टीम के सामने बड़ा लक्ष्य आया तो परिणाम भी बड़ा आया
और भारत नें इतिहास रचते हुए 3.5-0.5 के अंतर से जीत दर्ज करते हुए कांस्य पदक हासिल कर लिया ।
173 देशो मे चीन 19 अंक लेकर पहले ,तो 17 अंक लेकर टाईब्रेक मे हंगरी दूसरे और भारत तीसरे स्थान पर रहा । अन्य देशो मे रूस ,अजरबैजान ,उक्रेन ,क्यूबा ,अर्मेनिया ,इज़राइल और स्पेन क्रमशः चौंथे से दसवें स्थान तक रहा ।
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पहले बोर्ड पर परिमार्जन नेगी नें रुस्तम कासिमजनोव को बेहतरीन अंदाज मे मात देकर एक बड़ा अंक भारत के हिस्से मे डाला
पिछले लंबे समय से खेल से दूर चल रहे परिमार्जन नें हिन्दी चेसबेस इंडिया यूट्यूब को दिये अपने खास इंटरव्यू में इस खेल के बारे मे बताया
भारतीय शतरंज इतिहास का अब तक का एकमात्र मेडल फोटो - रोहित ललित बाबू
विजेता टीम के सदस्य रोहित ललित बाबू नें इस टूर्नामेंट के दौरान क्या हुआ और खास मुकाबलों पर प्रकाश डाला
कृष्णन शशिकिरण नें भी उस टूर्नामेंट मे अपने प्रदर्शन से खास छाप छोड़ी थी उस दौरान जब चेसबेस इंटरनेशनल के लिए मैंने उनका इंटरव्यू लिया था तो उन्होने कहा था " हमने टूर्नामेंट की शुरुआत 19 वीं सीड के रूप में की थी, और मुझे लगा था कि टॉप टेन फिनिश अच्छी होगी। हमने सभी उम्मीदों को पार कर लिया, और बाकी इतिहास है।ओलंपियाड पदक जीतना मेरे लिए एक सपना रहा है, जब से मैं पहली बार 1998 में एलिसा में भारत के लिए खेला था। नौ ओलंपियाड और भारत के लिए 100 खेलों के बाद (उस रिकॉर्ड को बनाए रखने के लिए मुझे गर्व है ) मुझे खुशी है कि मेरा सपना सच हुआ है । मुझे विश्वास है की हम किसी दिन टीम स्वर्ण पदक लेंगेऔर मैं निश्चित रूप से खिलाड़ी या कोच के रूप में इसकी ओर काम करूंगा। मुझे उम्मीद है कि यह परिणाम कई और युवाओं को शतरंज में उतारने के लिए प्रेरित करेगा।
सेथुरमन ने भी इस पदक की दौड़ मे भारत की जीत मे खास भूमिका निभाई थी उस समय मुझे दिये अपने इंटरव्यू मे उन्होने कहा था "यद्यपि हम कागज पर मजबूत नहीं थे, रेटिंग के हिसाब से, हम काफी युवा टीम थे, इसलिए मुझे लगा कि हमारे पास शीर्ष दस में आने का अच्छा मौका है। लेकिन पदक अप्रत्याशित था। मैं उस टीम का हिस्सा बनकर धन्य महसूस करता हूं जिसने भारत को शतरंज ओलंपियाड इतिहास में पहली बार पदक जीतने में मदद की। यह भारतीय शतरंज खिलाड़ियों, खासकर युवाओं के लिए एक बड़ी प्रेरणा होगी।
Any day in my chess career , this moment of winning the historic bronze medal for the country gives me goosebumps 🇮🇳🇮🇳🇮🇳#happyindependencedayIndia2020 #JaiHind #TeamIndia #Impactchess https://t.co/gCA3dqUaSP
— Sethuraman (@sethuramanchess) August 15, 2020
कहते है अधिबन भास्करन टीम को एकसूत्र मे पिरोने और टीम के अंदर अच्छा माहौल बनाए रखने मे बेहद मददगार होते है साथ ही उनकी कभी हार ना मानने की क्षमता उन्हे एक बड़ा खिलाड़ी बनती है तब मुझे दिये इंटरव्यू मे उन्होने कहा था की "यह इतिहास है! पहली बार हमने विश्व शतरंज ओलंपियाड में पदक जीता! हमारी पूरी भारतीय टीम और पूरे भारत की खुशी को व्यक्त करने के लिए सिर्फ शब्द नहीं हैं! मुझे लगता है कि यह शतरंज की लोकप्रियता को बढ़ावा देगा। मुझे वास्तव में उम्मीद है कि एक दिन हमारा खेल क्रिकेट की तुलना में अधिक लोकप्रिय होगा।"
2014 मे मिले इस पदक से भारतीय शतरंज को नई ऊंचाइयों मे ले जाने का कारनामा करने वाले आरबी रमेश पहले भारतीय कप्तान भी बने थे उसके बाद उन्होने भारतीय शतरंज को एक चयनकर्ता और कोच के रूप मे लगातार सेवाए भी दी ।
सिर्फ एक को मिला अर्जुन अवार्ड – पर भारत की शतरंज की दुनिया की इस सबसे बड़ी कामयाबी के बाद भी इन खिलाड़ियों मे परिमार्जन नेगी को छोड़कर किसी को भी आज तक अर्जुन अवार्ड तक नहीं दिया गया इसे आप सरकार की नियम कहे जिसमें शतरंज को अन्य खेलो की तरह गिना जाता है और ओलंपिक खेल जिसमें शतरंज नहीं है उसे ही मापदंड माना जाता है या शतरंज संघ की नाकामी जो सरकार को यह समझाने मे नाकाम रहे की क्रिकेट की तरह शतरंज का अपना मापदंड है यहाँ यह ना भूले क्रिकेट 12 देश खेलते है और शतरंज लगभग 200 ।
बातुमि शतरंज ओलंपियाड मे बिताया समय मुझे आज भी गर्व से भर देता है वो उत्सव का जैसा नजारा होता है जहां सही माने मे सारी दुनिया जुटती है !
उम्मीद करते है आने वाला समय भारतीय शतरंज के लिए और बेहतर होगा इन यादों से ही भविष्य का खाका खींचा जाता है तो इनकी महत्वता को हमें समझना होगा । आप सभी को आज के इस पावन दिन की स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाए ! जय हिन्द !