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अहसास : जब सपने वाकई सच हो जाए !!

by :निकलेश जैन - 18/10/2017

वो उस टूर्नामेंट का आखिरी राउंड था ,एक कोच के तौर पर काफी तनाव भरा ,दरअसल ये वह मौका था जब आप सिर्फ बैठ कर परिणाम के आपके पक्ष में आने की उम्मीद कर सकते है और वह इंतजार का समय बहुत मुश्किल वक्त में से एक था ,खासतौर पर उस इंसान के लिए जिसने शतरंज के खेल में खुद श्रेष्ठता हासिल ना की हो और ऐसे में ना सिर्फ हर कोई बल्कि वह स्वयं उसे अपनी क्षमताओं पर भरोसा रखना मुश्किल होता है ,पर उस दिन परिणाम मेरी आंखो में पानी लेकर आया मेरे द्वारा प्रशिक्षित किए हुए अंशुमान सिंह नें विश्व स्कूल चैंपियनशिप 2009 के अंडर 7 आयु वर्ग का कांस्य पदक अपने नाम कर लिया था वह दौड़कर मेरी तरफ आया तो माना ऐसे लगा जैसे मैं खुद समय में बहकर पदक लेकर आ रहा हूँ ,उस दिन समझ आया दुनिया में खुशी सिर्फ कुछ खुद हासिल करने से नहीं मिलती बल्कि आपकी वजह से अगर कोई ओर भी सफलता पा सके तो यह किसी मायने में कम नहीं होती । 2017 में राष्ट्रीय विजेता बने सायना इंटरनेशनल स्कूल में ,मैं वर्ष 2007 से शतरंज प्रशिक्षक के तौर पर कार्य कर रहा हूँ पढे सपनों के सच होने का यह सफर ..

सायना इंटरनेशनल स्कूल के छात्र अंशुमान सिंह नें 3 मई 2009 को विश्व स्कूल चैंपियनशिप का पदक अपने नाम किया था 

और यकीन मानिए आज भी वो लम्हा मेरी खुद की ज़िंदगी के सबसे यादगार लम्हो में से एक है 

वर्ष 2007 में  जब मैंनें सायना में एक प्रशिक्षक के तौर पर अपना सफर शुरू किया तब दो बाते मेरे जहन में थी 

पहली ये की क्या मैं इस लायक हूँ की मैं इस खेल की सभी बारीकियाँ बच्चो को सिखा सकूँ ?

दूसरी यह की क्या मेरे सिखाये बच्चे इस खेल में विजेता बन कर उभर सकेंगे ?

 

दोनों ही बातो का जबाब मेरे सामने सकारात्मक नहीं था ऐसे में मैंने यह तय किया की एक खिलाड़ी के तौर पर मैं सीखना जारी रखूँगा और दूसरा इन बच्चो को एक अच्छा इंसान बनने के लिए तो प्रेरित कर ही सकता हूँ । हालांकि अगर उस समय मेरे मन की बात स्कूल के संचालको को पता होती तो शायद मेरा कार्यकाल उसी दिन खत्म हो जाता पर खैर उन्हे मुझ पर पूरा भरोसा था और मुझे खुद की क्षमता पर कम से कम शक तो जरूर था ।

समय बीतने के साथ मैंने कुछ बाते सीखी जो मेरे लिए प्रेरक साबित हुई ,दरअसल हुआ यूं की मैंने विश्वनाथन आनंद का एक इंटरव्यू पढ़ा ,जहां उन्होने स्कूल में शतरंज के विकास पर काफी ज़ोर दिया था ,और कहा था की "देश में खेल को आगे ले जाने के लिए स्कूल में शतरंज को आगे बढ़ाना आवशयक है "।यह बात मुझे काफी पसंद आई और मुझे महसूस हुआ की ,चलो में कम से कम छोटा ही सही देश में शतरंज खेल के विकास में कुछ योगदान तो दे रहा हूँ, साथ ही  समझ आया की  ,जब आप अपने किसी भी किए कार्य का महत्व समझते है वह कार्य आपके लिए महत्वपूर्ण बन जाता है ,और कुछ ऐसा ही मेरे साथ हुआ । दो बाते मेरे समझ में आई 

* शतरंज के विकास का मतलब सिर्फ ग्रांड मास्टर बनाना नहीं है ,यह खेल अगर ज्यादा से ज्यादा लोगो तक पहुंचे तो यह भी एक सफलता है ।

*शतरंज जैसा खेल बच्चो के जीवन में कुछ ऐसी समझ विकसित करता है जो ताउम्र उन्हे सही निर्णय लेने में मदद करती है । और जीवन सिर्फ सही निर्णय का ही तो परिणाम होता है तो ऐसे में यह खेल इस सदी की चुनौतियों का सामना करनें में बच्चो के लिए एक वरदान की तरह है ।

मैंने वर्ष 2005 मे बनी फिल्म  Knights of the South Bronx देखी और जिस तरह से इस फिल्म में एक शिक्षक एक साधारण स्कूल के बच्चो को अमेरिका का राष्ट्रीय विजेता बनाता है यह बात मुझे अंदर तक प्रेरित कर गयी 

 

ऐसे में मैंने निर्णय लिया की मैं बच्चो की कुछ खास आदतों पर काम करूंगा और यकीन मानिए ये फॉर्मूला काम कर गया और ये था 

 

1-उन्हे अच्छा इंसान बनने के लिए प्रेरित करना ताकि वह परिणाम की चिंता किए बिना खेल का आनंद उठा सके । 

2-उन्हे खुद के काम खुद से करने के लिए प्रेरित करना ताकि वह मैच के दौरान अपने निर्णय बेहतर ले सके और उनमे भरपूर आत्मविश्वास हो । 

3-मैंने बच्चो को कहा की आप खेल में निर्णय लेते हुए ना डरे जैसी इच्छा हो वैसा जरूर खेले भले आप हार जाए । क्यूंकी जिस जानकारी के आधार पर आपने निर्णय लिया है उसे सुधारा जा सकता है पर अगर निर्णय लेना रोक दिया तो यह क्षमता लाने में काफी समय लग जाएगा । 

4 -यह सिर्फ एक खेल है जीवन नहीं और इसीलिए मैच के बाद आपका हर प्रतिद्वंदी आपके प्रति सम्मान रखे यह मायने रखता है । 

5- हमने उनकी पढ़ाई पर भी बराबर नजर बनाए रखी और परिणाम था सभी शतरंज खिलाड़ी कक्षा में हमेशा अव्वल आए ।

और फिर हमें कुछ इस तरह से परिणाम मिले !कुछ सबसे मुख्य परिणाम मैं आपको बतला रहा हूँ 

अंशुमान सिंह नें 3 मई 2009 को विश्व स्कूल चैंपियनशिप का पदक अपने नाम किया

स्कूल के छात्र और 17 बार विभिन्न आयु वर्ग मे मध्य प्रदेश विजेता रहे आयुष पटनायक नें भारतीय स्कूल टीम के कप्तान रहते हुए अपने अच्छे खेल से भारत को 2016 मे रजत पदक जीतने मे सहयोग किया । 

स्कूल नें नागपुर में वर्ष 2016 में राष्ट्रीय स्कूल स्पर्धा में तीसरा तो वर्ष 2017 में राष्ट्रीय स्कूल चैम्पियन होने का गौरव हासिल किया और यह मेरे लिए वर्षो पहले देखे सपने के सच होने का अनोखा  एहसास था ! इसी स्पर्धा में आयुष पटनायक नें अंडर 15 वर्ग का कांस्य पदक अपने नाम किया । 

सायना नें वर्ष 2010 से लेकर 2016 तक लगातार मध्य प्रदेश विजेता होने से लेकर ,सीबीएसई वेस्ट ज़ोन विजेता  होने का खिताब लगातार अपने नाम किए 

प्रतिवर्ष बड़े स्तर पर मानव शतरंज का आयोजन करने वाला सायना दुनिया का अकेला स्कूल है 

*सायना नें लगतार वर्ष 2008 से लेकर अब तक 2017 तक कटनी स्कूल विजेता का खिताब बरकरार रखा है 

*स्कूल से अब तक कुल 17 खिलाड़ियों नें फीडे अंतर्राष्ट्रीय रेटिंग हासिल की है । 

*स्कूल के बच्चो नें अब तक  राज्य स्तर पर अब तक 120 से ज्यादा पदक हासिल किए है । 

* सायना में शतरंज टीम के प्रत्येक बच्चे नें हमेशा पढ़ाई में अपनी कक्षाओं में अव्वल स्थान हासिल किया है । 

*सायना स्कूल अब तक तीन बार सायना ओपन अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट का तीन बार 2009 ,2016,2017 में सफल आयोजन कर चुका है जिसकी कुल पुरुष्कार राशि अब तक 14.5 लाख रुपेय रही है । 


शतरंज प्रदर्शनी 2017 

सायना स्कूल मे हर वर्ष शतरंज प्रदर्शनी का आयोजन होता है इस वर्ष भी इसका आयोजन किया गया 


यह विडियो आपको इसके बारे में और जानकारी देगा !

मुख्य द्वार ! 2016 

अंदर का नजारा 2017

स्कूल द्वारा हासिल की गयी उपलब्धियां !

अलग -2 देशो के बोर्ड मोहरे और अलग -2 शतरंज की घड़ियाँ 

विजताओं की दीवार -जहां जीतने वालो के पदको को सबके देखने के लिए रखा जाता है 

राष्ट्रीय विजेता ट्रॉफी 

स्कूल के संस्थापक और खेलप्रेमी राज्य मंत्री श्री संजय सत्येंद्र पाठक !

आप चेसबेस इंडिया के फेसबुक पेज पर इस शतरंज प्रदर्शनी के सभी तस्वीरों को देख सकते है 

 

मेरा इस लेख को लिखने का मुख्य कारण इस बात को सामने लाना है की शतरंज का खेल ना सिर्फ बच्चो की बुद्धि का विकास करता है उन्हे पढ़ाई में बेहतर बनाता है बल्कि एक अच्छा और समझदार इंसान बनने में मदद करता है इसीलिए इस खेल को स्कूल स्तर में बढ़ावा देना एक शानदार कार्य है मेरा यह लेख इस क्षेत्र में कार्य कर रहे हर व्यक्ति को समर्पित है । 

आपका दोस्त 

निकलेश जैन